कभी अकेले में मिल कर झिझोंड दूंगा उसे hindi Shayri
कभी अकेले में मिल कर झिझोंड दूंगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा हैं जोड़ दूंगा उसे |
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल हैं उसका,
इरादा मैंने किया था कि छोड़ दूंगा उसे |
पसीने बांटता फिरता हैं हर तरफ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे |
बदन चुरा के वो चलता हैं मुझ से शीशा-बदन,
उसे ये डर हैं कि मैं तोड़ फोड़ दूंगा उसे |
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे |
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