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दादा जी का सोंटा Poem Of Kids Dada ji Ka sonta hindi kavita बच्चों की कविता || दादा जी का सोंटा || हिंदी कविता

 लोगो को बचपन की बात याद हैं जब हम लोगोसे कोई छोटी या बड़ी गलती होती थी | तो हमारे घर के मुखिया हमारे प्रिय दादा जी और उनकी सबसे प्यारी और अनोखी छड़ी से सबको डर लगता जो सबको सुधारने का काम करती थी | इसी बात पर एक कविता हमको याद आ गयी जो मैं आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ | जिसका नाम हैं -

  दादा जी का सोंटा 

यह एक ऐसा शस्त्र हैं जिससे घर के सभी महाशय को डर लगता हैं 

फ़ौरन बिगड़ी बात बनाता,

करामात अपनी दिखलाता-

दादा जी का सोंटा !


बड़ा लाड़ला प्यारी साथी 

दादा जी के संग दिन-राती,

आते-जाते दौड़ लगाता 

मन्दिर जाता, मेले जाता |

हरदम, हर पल साथ निभाता-

दादा जी का सोंटा !


बड़ा चौक, जौहरी बाजार 

पहचाने सब आँगन-द्वार 

दादा जी के संग घूमा हैं 

मस्ती में संग-संग झूमा हैं |

इसीलिए तो रॉब दिखाता-

दादा जी का सोंटा !


चिंटू करता अगर शरारत 

तब आती हैं उसकी आफत,

छुटकी ज्यादा शोर मचाती 

होमवर्क में देर लगाती |

तब अपने तेवर दिखलाता-

दादा जी का सोंटा !

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धन्यवाद 

जय हिन्द !

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