लोगो को बचपन की बात याद हैं जब हम लोगोसे कोई छोटी या बड़ी गलती होती थी | तो हमारे घर के मुखिया हमारे प्रिय दादा जी और उनकी सबसे प्यारी और अनोखी छड़ी से सबको डर लगता जो सबको सुधारने का काम करती थी | इसी बात पर एक कविता हमको याद आ गयी जो मैं आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ | जिसका नाम हैं -
दादा जी का सोंटा
यह एक ऐसा शस्त्र हैं जिससे घर के सभी महाशय को डर लगता हैं
फ़ौरन बिगड़ी बात बनाता,
करामात अपनी दिखलाता-
दादा जी का सोंटा !
बड़ा लाड़ला प्यारी साथी
दादा जी के संग दिन-राती,
आते-जाते दौड़ लगाता
मन्दिर जाता, मेले जाता |
हरदम, हर पल साथ निभाता-
दादा जी का सोंटा !
बड़ा चौक, जौहरी बाजार
पहचाने सब आँगन-द्वार
दादा जी के संग घूमा हैं
मस्ती में संग-संग झूमा हैं |
इसीलिए तो रॉब दिखाता-
दादा जी का सोंटा !
चिंटू करता अगर शरारत
तब आती हैं उसकी आफत,
छुटकी ज्यादा शोर मचाती
होमवर्क में देर लगाती |
तब अपने तेवर दिखलाता-
दादा जी का सोंटा !
Read in hindi help
अगर आपको यह कविता पसंद आई हो तो इसको अपने मित्रो को शेयर करे जिससे उनकी पुराणी यादें ताजा हो जाये |
धन्यवाद
जय हिन्द !
0 Comments
अगर आपको कोई संदेह है तो कृपया मुझे बताएं
(if you have any doubt please let me know)