नई हवाओं की सोभत बिगाड़ देती हैं हिंदी शायरी
आज का ऐसा दौर हैं की किसी को समझा पाना आसान काम नही हैं जब लोग खुद से किसी मुसीबत में फसते या गलत लत का शिकार हो जाते हैं तब उनको समझ आता हैं इसी को देखते ही डाक्टर रातह इन्दौरी जी ने ये अच्छी शायरी लिखी हैं जो आपको बताती हैं दुनिया कैसी हैं कैसे लोगो के ऊपर बुरी आदत हावी होती हैं शायरी को पढ़िए -
नई हवाओं की सोभत बिगाड़ देती हैं ,
कबूतर को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते हैं इतने बुरे नही होते,
सजा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
मिलाना चाहा हैं इन्सा को जब इन्सा से,
तो सारे काम सियासत बिगाड़ देती हैं |
हमारे पीर तकमीर ने कहा था कभी,
मिया ये आशिकी इज्ज़त बिगाड़ देती हैं
ये चलती-फिरती दुकानों की तरह होते हैं
नये अमीरों को दौलत बिगाड़ देती हैं
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