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aanshu ki dhaar hindi poetry हम आंसू की धार बहाते (निशा निमन्त्रण) 1938 भाग 2 हरिवंश राय बच्चन

हम आंसू की धार बहाते  (निशा निमन्त्रण)1938 भाग 2 हरिवंश राय बच्चन readinhindihelp

हम आंसू की धार बहाते !

मानव के दुःख का सागर जल 

हम पी लेते सागर बनकर बादल,

रोकर बरसाते हैं ,फिर भी हम खारे को मधुर बनाते !


हम आंसू की धार बहाते !

उर मथकर कंठो तक आता,

कंठ रुंधा पाकर फिर जाता,

कितने ऐसे विष का दर्शन, हाय, नही मानव कर पाते !


हम आंसू के धार बहाते !

मिट जाते हम करके वितरण 

अपना अमृत सरीखा सब धन !

फिर भी ऐसे बहुत पड़े जो मेरा तेरा भाग्य सिहाते !

हम आंसू की धार बहाते !

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