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Khoon kyu safed ho gya hindi poetry खून क्यों सफ़ेद हो गया ? अटल बिहारी वाजपेयी

खून क्यों सफ़ेद हो गया ? अटल बिहारी वाजपेयी Khoon kyun safed ho Gya hindi poetry

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खून क्यों सफ़ेद हो गया ?

भेद में अभेद खो गया 

बंट गये शहीद, गीत कट गए,

कलेजे में कटार दड़ गई |

दूध में दरार पड गई |


खेतों में बारूदी गंध,

टूट गये नानक के छंद 

सतलुज सहम उठी,व्यथित सी बितस्ता हैं |

बसंत से बहार झड गई 

दूध में दरार पड़ गई |


अपनी ही छाया से बैर,

गले लगने लगे ग़ैर,

खुदकुशी का रास्ता, तुम्हे वतन का वास्ता |

बात बनाये, बिगड़ गई |

दूध में दरार पड़ गई |

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