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राहत इन्दोरी की शायरी हिंदी /Rahat Indori poetry in Hindi

राहत इन्दोरी की शायरी हिंदी/Rahat Indori poetry in Hindi

1


 सिर्फ खंज़र ही नही आँखों में पानी चाहिए ,

ऐ खुदा दुश्मन भी हमको खानदानी चाहिए 


मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहूँ  छलका दिया,

एक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए |


सिर्फ खबरों की ज़मीने देके मत बहलाइये 

राजधानी दी थी हमने, राजधानी चाहिए 

2


हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं 

मोहब्बत की इस मिटटी को हम हिंदुस्तान कहते हैं 


जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी 

जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते हैं 


जो ये दीवार का सुराख़ हैं साजिश का हिस्सा हैं 

मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं 


ये ख्वाहिश दो निवालो की हमें बर्तन की हाज़त क्या 

फ़कीर अपनी हथेली को ही दस्तरखान कहते हैं 


मेरे अंदर से एक - एक करके सब कुछ हो गया रुखसत 

मगर एक चीज़ बाकी हैं जिसे ईमान कहते हैं 


गुलाब ख्व़ाब दवा ज़हर जाम क्या - क्या हैं 

मैं आ गया हूँ बता इंतजाम क्या - क्या हैं 


फ़कीर शेख कलंदर इमाम क्या - क्या हैं 

तुझे पता नही तेरा गुलाम क्या - क्या हैं 


अमीर -ए -शहर के कुछ कारोबार याद आये 

मैं रात सोच रहा था हराम क्या - क्या आये 

4

अगर खिलाफ हैं होने दो जान थोड़ी हैं,

ये सब धुआं हैं कोई आसमान थोड़ी हैं 


लगेगी आग तो आयेंगे घर कई जद में 

यहाँ पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी हैं 


हमारे मुह से जो निकले वही सदाकत हैं 

हमारे मुह में तुम्हारी जुबान थोड़ी हैं 


मैं जनता हूँ की दुश्मन भी कम नही हैं 

लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी हैं 


आज शाहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे,

किरायेदार हैं जात्ती मकान थोड़ी हैं |


सभी का खून हैं शामिल इस मिट्टी में,

किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी हैं 

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