Header Ads

अपडेट

6/recent/ticker-posts

Best Comedy Poetry Padosan Kaki and Gharwali Tu-Tu, Main-I / Shail Chaturvedi बेस्ट हास्य कविता पड़ोसन काकी और घरवाली तू-तू, मैं-मैं/ शैल चतुर्वेदी

 तू-तू, मैं-मैं / शैल चतुर्वेदी

अकारण ही पड़ोसन काकी

और मेरी घरवाली में

छिड़ गया वाक-युद्ध

कोयल-सी मधुर आवाज़

बदल गई गाली में

ये भी क्रुद्ध

वे भी क्रुद्ध

छूटने लगे शब्द-बाण

मुंह हो गया तरकस

फड़कने लगे कान

मोहल्ला हो गया सरकस

चूड़ियां खनखना उठीं

मानो गोलियाँ सनसना उठीं

पायलें छनछना उठीं

जैसे रणभूमि में

घोड़ियाँ हिनहिना उठीं

उन्होंने आंखे निकालीं

इन्होंने पचा लीं

ये गुर्राईं

वे टर्राईं

इनकी सनसनाहट

उनकी भनभनाहट

घातें

प्रतिघातें

निकल आई न जाने

कब की पुरानी बातें

हर पैतरा निराला

जिसके मन जो आया

कह डाला

ये अपनी जगह पर

वे अपनी जगह पर

दृश्य था आकर्षक

सारा मोहल्ला था दर्शक

बच्चे दोनों घर के

कुछ इधर के

कुछ उधर के

स्तब्ध खड़े सुन रहे थे

गालियाँ चुन रहे थे

बूढ़े दाढ़ी हिलाते थे

नौजवान प्रभावित होकर

एक दूसरे से हाथ मिलाते थे


तभी

दृश्य हुआ चेंज

शुरू हो गया

घूसों और लातों का एक्सचेंज

उन्होंने छोड़े शब्दों के 'मेगाटन'

ये भी कम न थीं

चला दिए 'लेगाटन'


ये भवानी

वे दुर्गा

उनका पति खड़ा

उनके पीछे

मुट्ठियाँ भीचें

मानो अकड़ रहा हो

रहीमखां तांगेवाले का

अंग्रेज़ी मुर्गा

इधर हम भी खड़े थे

मोर्चे पर अड़े थे

वैसे कुछ साल पहले

हम दोनों

आमने-सामने लड़े थे

किंतु तब पुरुषों का युग था

अब नारी सत्ता है

पुरूष क्या है?

हुक्म का पत्ता है

चला दो चल जाएगा

पिला दो पिल जाएगा।

Post a Comment

0 Comments