मेरा प्रिय बंगाल
मेरा सोने जैसा बंगाल,
मैं तुमसे प्यार करता हूँ
सदेव तुम्हारा आकाश,
तुम्हारी वायु
मेरे प्राणों में बांसुरी सी बजती हैं.
ओ माँ,
बसंत में आम्रकुंज से आती सुगंध
मुझे ख़ुशी से पागल करती हैं,
वाह, क्या आनंद !
ओ माँ,
आषाढ़ में पूरी तरह से फूले धान के खेत,
मैंने मधुर मुस्कान को फैलते देखा हैं.
क्या शोभा, क्या छाया,
क्या स्नेह, क्या माया !
क्या आँचल बिछाया हैं
बरगद तले
नदी किनारे किनारे !
माँ, तेरे मुख की वाणी,
मेरे कानो को,
अमृत लगती हैं
वाह, क्या आनंद !
मेरी माँ, यदि उदासी तुम्हारे चेहरे पर आती हैं
मेरे नयन भी आंसुओ से भर आते हैं.
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